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Extension Lecture on the occasion of the birth anniversary of Guru Teg Bahadur Singh ji
Posted on 01/04/2022
Date:01.04.2022
हिंदू संस्कृति को बचाने के लिए गुरु तेग बहादुर ने दिया बलिदान 401वें प्रकाश पर्व पर हुआ एक व्याख्यान।
मानव जीवन की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी सदैव मुस्लिम आक्रांताओं से लड़ते रहे। उन्होंने धर्म जाति से परे हटकर मानव के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। हिंदू संस्कृति को बचाने के लिए गुरु तेग बहादुर ने अपना जीवन निछावर कर दिया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर सिखों के 9 वें गुरु श्री तेग बहादुर जी के 401 में प्रकाश पर्व के उपलक्ष में राजकीय कन्या महाविद्यालय पिल्लूखेड़ा के द्वारा आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान करवाया गया।कार्यक्रम की शुरुआत अरदास के साथ हुई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ राजकुमार एसोसिएट प्रोफेसर इतिहास, शहीद उधम सिंह राजकीय महाविद्यालय मटक माजरी, करनाल रहे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉक्टर राजकुमार के द्वारा बताया गया कि गुरु जी ने मानव कल्याण के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया। आज भी हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं और इसका सामना करने के लिए हमें एक मर्यादित जीवन जीना होगा। उन्होंने कहा कि हिंदू संस्कृति को बचाने के लिए गुरुजी ने अपना बलिदान दिया। गुरु तेग बहादुर जी बचपन से ही बहादुर, निर्भीक स्वभाव और आध्यात्मिक रूचि वाले थे। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। इसी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर अर्थात तलवार का धनी रख दिया। आज हम उन आदर्शों पर चलने में असहज महसूस कर रहे हैं। गुरु तेग बहादुर जी ने अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया लेकिन सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा।अपने त्याग एवं बलिदान के लिए वह सही अर्थों में हिंद की चादर कहलाए। जिस धर्म में हम विश्वास रखते हैं उसको चलाने के लिए हमेशा शहादत देने की जरूरत होती है। इसके लिए हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।श्रीमती बबीता पवार ,प्राचार्य ने मुख्य वक्ता का स्वागत और हार्दिक अभिनंदन किया और बताया कि हमें धर्म, वैराग्य और त्याग की मूर्ति , गुरु तेग बहादुर जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए कि कोई भी परिस्थिति क्यों न हो हमें आत्मविश्वास को कम नहीं करना चाहिए ।हमें उनके द्वारा रचित रचनाओं को पढ़कर उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए । उनके अद्वितीय बलिदान ने देश में 'सर्व धर्म सम भाव' की संस्कृति को सुदृढ़ बनाया और उन्होंने धार्मिक, सांस्कृतिक, वैचारिक स्वतंत्रता के साथ निर्भरता से जीवन जीने का मंत्र भी दिया।इस अवसर पर विशेष दिवस आयोजन समिति के प्रभारी श्री प्रदीप कुमार ने बताया कि निदेशालय के आदेशानुसार श्री गुरु तेग बहादुर के जन्म दिवस पर लेक्चर का आयोजन करवाया गया है। महाविद्यालय की सभी छात्राएं और सभी स्टाफ सदस्य गूगल लिंक के माध्यम से इस लेक्चर से जुड़े। व्याख्यान के अंत में विशेष आयोजन समिति प्रभारी ने मुख्य वक्ता, सभी सहायक प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों का धन्यवाद किया।
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